प्रयोगिक प्रक्षेत्र चम्पावत केन्द्र
- श्री पंकज कुमार, वैज्ञानिक (प्रभारी)
- डा0 किशोर कुणाल, वैज्ञानिक
- श्रीमति गरिमा, वैज्ञानिक
चम्पावत केन्द्र का परिचय
चम्पावत एक पुराना ऐतिहासिक शहर है, जिसमें काली कुमाऊँ के चन्द वंश के अवशेष मौजूद हैं। यह मध्य कुमाऊँ हिमालय के निचले क्षेत्रों समुद्र तल से 1550 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। चम्पावत जिले को कुमाऊँ क्षेत्र के पिथौरागढ़ और नैनीताल जिलों से अलग करके बनाया गया था। यह जिला चीड़, देवदार, बुरांश (रोनोडोन्डोरस) काफल के पेड़ो से युक्त अपने खूबसूरत हरे-भरे जंगल, विशाल और तेज बहने वाली नदियों व तेज धाराओं के लिये जाना जाता है। भूमि क्षेत्र में मुख्य रूप से पर्वत श्रृंखलायें, बड़ी घाटियां, आसमान परिदृश्य, टूटी हुयी चट्टाने, नदियां और नाले हैं।
चम्पावत की चैड़ाई और लम्बाई से होकर गुजरने वाली प्रमुख नदियां काली-शारदा, सरयू, लधिया, लोहावती, पनार और रामगंगा (पूर्वी) हैं। ये सभी नदियां पनार, रामेश्वर, पंचेश्वर आदि स्थानों पर काली नदी में मिल जाती हैं। भौगालिक वितरण के आधार पर चम्पावत जिले को तीन मुख्य भौगोलिक भागों में विभाजित किया जा सकता है जैसे कृषि की दृष्टि से महत्वपूर्ण तराई क्षेत्र जिसकी औसत ऊंचाई 200 से 250 मीटर हे। शिवालिक मध्य पहाड़ियां जो 250 से 1200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। घने जंगलों से युक्त एक ढालनदार और आसमान स्थलाकृतिक भूमि का प्रतिनिधित्व करती है और 1500 मीटर की औसत ऊंचाई वाला पर्वतीय क्षेत्र है।
प्रयोगिक मत्स्य प्रक्षेत्रः
शीतजल मत्स्यिकी अनुसंधा निदेशालय (तत्कालीन एन.आर.सी.सी.डब्ल्यू.एफ) के प्रयोगिक मत्स्य प्रक्षेत्र की भूमि को वर्ष 1988 में चम्पावत कस्बे से लगभग 7 किमी. दूर तारकेश्वर के छिरापानी में खरीदा गया था। यह प्रक्षेत्र मध्य कुमाऊँ हिमालय में 3.13 हैक्टेयर भूमि क्षेत्र (देशान्तर, 80007 एन, अक्षांश 29030 ई, 1620 एम एस एल) में एक पवित्र धारा गंडकी के तट पर स्थित है। यह धारा चम्पावत जिले में 1860 एम एस एल की ऊंचाई पर क्रांतेश्वर श्रृंखला के दक्षिणी छोर से निकलती है, और उत्तर की बहने वाली अपनी प्रकृति के कारण इसका बहुत धार्मिक महत्व है। क्रांतेश्वर, वनलेख और हिंगला पर्वत श्रृंखलाओं सं निकलने वाली प्राथमिक और द्वितीयक क्रम की धारायें भी इस धारा में मिलती हैं। गंडकी एक बारहमासी धारा है तथा झरनों, बरसाती नालों एवं पारगम्य परतों के माध्यम से पानी प्राप्त करती है। यह नदी मध्य एवं लघु हिमालय क्षेत्र सहित विभिन्न जल ग्रहण क्षेत्रों से होकर गुजरती है। सर्दियों के महीनों में कभी-कभी पर्वत शिखरों पर बर्फवारी होती है। जलग्रहण क्षेत्र का लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र घने जंगलो से घिरा हुआ है तथा शेष क्षेत्र कृषि के अधीन है। जलग्रहण क्षेत्र के दोनों किनारों पर मानव बस्तियां हैं, यद्यपि घन्त्व में ज्यादातर विरल हैं। जलग्रहण क्षेत्रों में मानव बस्ती पीने योग्य पानी तथा छोट पैमाने पर सिंचाई के लिये जलधारा पर निर्भर है।
चम्पावत स्थित प्रयोगिक मत्स्य प्रक्षेत्र की संरचना
ट्राउट रेसवे | 06 (क्षे.फ. 900मी 2) |
नर्सरी तालाब | 10 (क्षे.फ. 300मी 2) |
कार्प तालाब | 10 (क्षे.फ. 750मी 2) |
जल संग्रहण तालाब | 1.3 लाख लीटर |
ट्राउट हैचरी | 01लाख आइड ओवा |
प्रर्दशन पौलीटैंक | 450मी 3 |
कार्यालय सह वैज्ञानिक आवास परिसर | 02 |
प्रयोगशालायें | 02 |